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बेटी दिवस पर बेसिक शिक्षा विभाग की अध्यापिका प्रतिमा उमराव जी की कविता
बेटियाँ
माँ की परछाई होती है बेटियाँ,
माँ का दुलार होती हैं बेटियाँ।
माँ का अरमान होती हैं बेटियाँ,
पापा का सम्मान होती हैं बेटियाँ।।
भाई का अभिमान होती हैं बेटियाँ,
भाई का स्नेह होती हैं बेटियाँ।
हर घर की रौनक होती हैं बेटियाँ,
हर घर का त्योहार होती हैं बेटियाँ।।
सृष्टि निर्माण का आधार है बेटियाँ,
रिश्तो को बाँधती हैं बेटियाँ।
दो कुलों की शान हैं बेटियाँ,
दो परिवार को जोड़ती है बेटियाँ।।
आसमान तक जा पहुँची है बेटियाँ,
सागर को नाप चुकी हैं बेटियाँ।
संस्कारों की वाहक है बेटियाँ,
सब पर नेह लुटाती हैं बेटियाँ।।
रचना- प्रतिमा उमराव, फतेहपुर
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