INCOME TAX ( आयकर )

आयकर धारा 80C: आठ साल बाद फिर छूट की उम्मीद

80C: आठ साल बाद फिर छूट की उम्मीद

1.5 लाख रुपये प्रति वित्त वर्ष हो गई 2014-15 में छूट की सीमा

हमारा व्हाट्सएप ग्रुप जॉइन करने के लिए यहाँ क्लिक करें ।

https://chat.whatsapp.com/GHnVuSXaO4H1PswXAcgCyP

2005 में हुआ था बदलाव

2020 में पेश नई टैक्स व्यवस्था के बजाय पुरानी व्यवस्था ही करदाताओं को आ रही पसंद

अधिकांश व्यक्तिगत करदाता टैक्स बचाने के लिए आयकर की धारा 80सी को अपनाते हैं। हालांकि, ज्यादातर को अब यह सीमा काफी कम लगती है। वे कई साल से बजट में इस सीमा की बढ़ोतरी का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। इस बार बजट में एक बार फिर से छूट बढ़ने की उम्मीद हैं। इसी का गणित बताती यह रिपोर्ट-

2020 के बजट में पेश की गई नई टैक्स व्यवस्था के बजाय ज्यादातर लोग पुरानी टैक्स व्यवस्था को पसंद कर रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें ज्यादा टैक्स बचाने के लिए सा विभिन्न कटौतियों का उपयोग करना उन्हें रास आ रहा है। धारा 80सी को 2005 के बजट में बदला गया था। तब शुरुआती सीमा एक लाख रुपये थी। 2014-15 में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसे बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये प्रति वित्त वर्ष कर दिया था। उसके बाद से इसमें कोई बढ़ोतरी नहीं हुई।

Income Tax Section 80 C

2014-15 में की गई वृद्धि से आठ साल बाद इस बार फिर इस सीमा के बढ़ने की उम्मीद है। मध्य वर्ग के करदाताओं को कमरतोड़ महंगाई से राहत दिए जाने की जरूरत है। रहन-सहन के खचों में लगातार वृद्धि ने मध्य वर्ग के लोगों की सबसे ज्यादा मुश्किल में डाला है। बढ़ती ब्याज दरों के कारण कर्ज की किस्त में भी वृद्धि हुई है। इसने घरेलू बजट को और बिगाड़ दिया है व कमाई को कम कर दिया है

टैक्स विशेषज्ञ बताते हैं कि परिस्थितियां ऐसी हैं कि वे इसकी सीमा में वृद्धि की गारंटी देती हैं। टैक्स डिडक्शन लोगों को निवेश करने के लिए

टैक्स बचत से बढ़ेगा निवेश:

प्रेरित कर सकता है। जब मोदी सरकार साल 2019 में दोबारा सत्ता में आई तो ज्यादातर व्यक्तिगत करदाताओं को इस सरकार से बड़ी राहत की उम्मीद थी लेकिन पिछले तीन बजट में ऐसा अब तक नहीं हुआ है। अगले साल सरकार लेखानुदान के लिए जा सकती है। ऐसे में सरकार आम चुनाव से पहले मध्य वर्ग के करदाताओं को कुछ राहत दे सकती है।

सीमा बढ़ाने की मजबूरी:

चूंकि मौजूदा सरकार के कार्यकाल में महंगाई इतनी बड़ी चिंता का विषय नहीं रहीं है। इसलिए अब यह स्थिति सरकार को मध्य वर्ग के करदाताओं में सबसे लोकप्रिय टैक्स बचाने वाली 80सी की सीमा बढ़ाने के लिए मजबूर कर सकती है। 2014-15 में लागत मुद्रास्फीति सूचकांक (सीआईआई) 240 था यह अब 331 है और वर्तमान महंगाई दर को अगर 6 फीसदी भी माना जाए तो यह अगले वित्त वर्ष के लिए लगभग 351 आता है। इसी के लिए अब इस वृद्धि पर चर्चा की जा रही है। इसके हिसाब से मौजूदा सीमा लगभग 2.19 लाख रुपये होनी चाहिए।

विशेषज्ञों का कहना है कि पीपीएफ और अन्य कर बचत योजनाओं में निवेश को कटौती के रूप में अनुमति दी जानी चाहिए। बजट में रियायती आयकर व्यवस्था के तहत 30% कर की सीमा को 20 लाख रुपये तक बढ़ाया जाना चाहिए, ताकि इसे मध्यम आय वाले करदाताओं के लिए आकर्षक बनाया जा सके।

10 से ज्यादा चीजों पर 80सी के तहत कर सकते हैं छूट का दावा:

खर्च और निवेश सहित 10 से अधिक चीजें हैं, जिसके लिए एक करदाता धारा 80 सी के तहत कटौती का दावा कर सकता है। विशेष रूप से वेतनभोगी व्यक्ति प्रॉविडेंट फंड (पीएफ) में अनिवार्य योगदान के साथ 1.5 लाख रुपये की कटौती सीमा को समाप्त कर देते हैं। इससे होम लोन के मूलधन, जीवन बीमा पॉलिसियों के प्रीमियम, छोटी बचत योजनाओं में निवेश, इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम आदि के पुनर्भुगतान के लिए कटौती का दावा करने की कम गुजश बचती है। ऐसे में यदि कोई लंबे समय के लिए निवेश करना चाहता है और टैक्स को बचाना चाहता है तो यह सीमा कम पड़ जाती है।

करदाताओं को प्रोत्साहन देने की जरूरत:

यह नहीं भूलना चाहिए कि समय के साथ-साथ महंगाई आदि के कारण पैसे या निवेश का मूल्य कम हो गया है। करदाताओं को बचत और निवेश के लिए प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए मौजूदा सीमा को बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये करने पर विचार किया जा सकता है। अजय कुमार सिंह, सीए

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button

Discover more from Basic Education Department

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading