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Allahabad High Court: वित्त पोषित इंटर कॉलेजों में प्रधानाचार्यो की नियुक्तियां रद

Allahabad High Court: वित्त पोषित इंटर कॉलेजों में प्रधानाचार्यो की नियुक्तियां रद

इलाहाबाद हाईकोर्ट नियुक्तियां करने में 9 वर्ष से अधिक का समय लगाने पर कोर्ट ने प्रधानाचार्यो की नियुक्तियां की पूरी प्रक्रिया को रद्द कर दिया. कोर्ट ने कहा कि माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड द्वारा नियुक्तियां करने में किया गया अनावश्यक विलंब समता के अधिकार का उल्लंघन हुआ है.

Aided school matter in court

प्रयागराजः प्रदेश के सहायता प्राप्त इंटरमीडिएट कॉलेज और हाई स्कूलों में प्रधानाचार्यो और हेड मास्टर की नियुक्तियां इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रद्द कर दी है. इन नियुक्तियों को लेकर माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड ने वर्ष 2013 में विज्ञापन जारी किया था. जब की नियुक्ति प्रक्रिया वर्ष 2022 में पूरी की गई.

हाइकोर्ट ने कहा कि नियुक्तियां पूरी करने में 9 वर्ष का अत्याधिक विलंब होने से तमाम योग्य अभ्यर्थियों के अवसर की समानता के मौलिक अधिकार का हनन हुआ है. इसलिए यह नियुक्तियां अवैधानिक है. कोर्ट ने बोर्ड को नए सिरे से विज्ञापन जारी कर पूरी प्रक्रिया करने का निर्देश दिया है. प्रदेश के दर्जनों इंटरमीडिएट कॉलेजों की ओर से दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने दिया.

याची का कहना था कि प्रदेश के वित्तीय सहायता प्राप्त इंटर कॉलेजों में प्रधानाचार्यो की नियुक्ति के लिए वर्ष 2013 में विज्ञापन जारी किया गया. इसके तहत 31 जनवरी 2014 तक आवेदन मांगे गए थे. बाद में आवेदन जमा करने की तिथि को फरवरी 2014 तक बढ़ा दिया गया. इसमें इंटर कॉलेजों के दो वरिष्ठ अध्यापकों के चयन पर विचार होना था. आवेदन पत्र लेने के बाद पूरी प्रक्रिया को बंद कर दिया गया.

इसके बाद अचानक 10 जनवरी 2022 को आदेश जारी कर इंटर कॉलेजों के 2 सबसे सीनियर अध्यापकों को अपना ब्योरा ऑनलाइन पोर्टल पर दर्ज करने का निर्देश दिया गया. नियुक्ति प्रक्रिया पूरी की गई. याची का कहना था कि नियुक्ति पूरी करने में 9 साल का समय लगने के कारण संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 में दिए गए उनके अवसर की समानता के अधिकार का हनन हुआ है. बहुत से योग्य अभ्यर्थी अपने अधिकारों से वंचित रह गए तथा जिन्होंने 2014 के बाद योग्यता हासिल की उन्हें भी अवसर नहीं मिल सका.

कोर्ट ने याचीगण की दलीलों पर विचार करने के बाद कहा की मौजूदा नियुक्ति को लेकर माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड सभी मोर्चों पर चल रहा है. जो चयन किया गया है. उससे स्पष्ट रूप से योग्य अभ्यर्थी अपने अधिकार से वंचित हुए हैं. जिन लोगों ने 2014 के बाद अहर्ता हासिल की वह सिर्फ बोर्ड द्वारा नियुक्ति में देरी करने के कारण अपने अधिकार से वंचित हो गए. कोर्ट ने कहा कि याची के अधिकारों का हनन हुआ है. क्योंकि प्रधानाचार्य के पद पर सीधी भर्ती एक प्रकार से वरिष्ठ अध्यापकों के लिए प्रोन्नति का अवसर भी थी. जिससे कि वह वंचित हो गए. इसलिए सभी नियुक्तियां संविधान के अनुच्छेद 14 व 16 का उल्लंघन करती है. कोर्ट ने नियुक्तियों को रद्द करते हुए बोर्ड को नया विज्ञापन जारी कर भर्ती प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया है.

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