Uttar Pradesh Subordinate Services Selection Commission (उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड)

UP Lekhpal Bharti: विकल्प ‘डी’ चुनने वाले अभ्यर्थियों को एक अतिरक्त अंक, हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला

UP Lekhpal Bharti: विकल्प ‘डी’ चुनने वाले अभ्यर्थियों को एक अतिरक्त अंक, हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला

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विधि संवाददाता, प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने लेखपाल भर्ती की मुख्य परीक्षा में एफ सीरीज के प्रश्न संख्या 88 का उत्तर विकल्प डी चुनने वाले अभ्यर्थियों को एक अतिरिक्त नंबर देने का आदेश दिया है।

UP Lekhpal Bharti

कोर्ट ने कहा है कि जिन अभ्यर्थियों ने विकल्प डी चुना है, उसे भी सही मान कर परिणाम जारी किया जाए।

यह आदेश न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह ने नितेश कुमार सिंह, श्रीधर यादव, रोविन अग्रवाल की अलग-अलग याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए दिया है। याची गण की तरफ से कहा गया कि वह उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा आयोजित लेखपाल भर्ती में मुख्य परीक्षा में चयनित हैं। पिछले वर्ष मुख्य परीक्षा हुई थी। उत्तरकुंजी जारी कर दी गई है। एफ सीरीज की बुकलेट में प्रश्न संख्या 61,78, 88, 92 और 93 के सवालों के उत्तर विकल्प सही नहीं हैं।

सरकारी अधिवक्ता ने बताया कि प्रश्न संख्या 61,92 और 93 के उत्तर को चुनौती देने वाली याचिका को हाईकोर्ट की अलग पीठ ने विचार कर खारिज कर दिया है। अब केवल सवाल 78 और 88 को लेकर है। याचियों ने कहा कि आयोग ने प्रश्न संख्या 78 का सही विकल्प एक बताया है जबकि यह सही नहीं है।

तथ्यों और रिकॉर्डों के आधार पर विकल्प ‘ए’ और ‘डी’ दोनों सही

कोर्ट ने इस संबंध में आयोग से जानकारी मांगी थी। उसकी तरफ से बताया गया कि पहला विकल्प ही सही है। प्रश्न संख्या 88 को लेकर तथ्यों और रिकॉर्डों के आधार पर कोर्ट ने विकल्प ए और डी दोनों सही माना। एफ सीरीज की प्रश्न संख्या 88 का सवाल तस्करी की रोकथाम और बचाव, तस्करी और वाणिज्यिक यौन शोषण के पीड़ितों के पुनर्वास और पुन: एकीकरण से जुड़ा था।

याचियों के तर्क आंशिक रूप से स्वीकार किया गया

उत्तर कुंजी में पहले विकल्प को सही बताया गया, जबकि याचियों ने विकल्प डी को भी सही बताया। कहा कि पहला विकल्प एलपीजी सिलिंडर से जुड़ा है, यह केंद्र सरकार की योजना है। इसमें गरीब परिवारों को सिलिंडर दिया गया है। यह सही विकल्प नहीं हो सकता। अगर सही है तो विकल्प में पूरा शब्द लिखना चाहिए। स्पेलिंग मिस्टेक है। इसलिए बहुत सारे अभ्यर्थियों ने विकल्प डी सही मान उसका चुनाव किया। कोर्ट ने याचियों के इस तर्क पर याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार कर लिया।

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