Form 16 में दी रकम से ज्यादा बचा सकते हैं टैक्स, 4 आसान फॉर्मूले से करें क्लेम, नहीं जाएगी एक भी पाई

Form 16 में दी रकम से ज्यादा बचा सकते हैं टैक्स, 4 आसान फॉर्मूले से करें क्लेम, नहीं जाएगी एक भी पाई
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नई दिल्ली. वित्तवर्ष 2022-23 का इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भरने की अंतिम तारीख 31 जुलाई है. अभी तक आधे से ज्यादा लोगों को अपना रिटर्न भरना है. कई टैक्सपेयर रिटर्न भरते समय सोचते हैं कि उन्हें रिफंड में वही पैसा मिल सकता है जो उनके फॉर्म 16 (Form 16) में लिखा है.
लेकिन, ऐसा नहीं है. आप इससे ज्यादा की राशि पर भी अपना रिफंड क्लेम कर सकते हैं.

income tax refund
एक्सपर्ट का कहना है कि Form 16 में दी गई रकम से ज्यादा पैसा रिफंड पाने के लिए जरूरी है कि जितना जल्दी हो सकें अपना आईटीआर फाइल करें. रिफंड जितना जल्दी प्रोसेस होगा आपको उतना ही जल्दी पैसा भी मिल जाएगा. ज्यादा रिफंड पाने के लिए 4 फॉर्मूलों का इस्तेमाल करना चाहिए.
सही टैक्स रिजीम का चुनाव
मैक्सिमम टैक्स रिटर्न पाने के लिए सबसे पहले आपको सही रिजीम का चुनाव करना चाहिए. ऐसा इसलिए जरूरी है, क्योंकि अगर आपके पास PPF, ELSS, होम लोन या इंश्योरेंस जैसे टैक्स बचाने वाले निवेश के विकल्प नहीं हैं तो ज्यादा रेट से टैक्स देना समझदारी नहीं होगी. लिहाजा कम रेट पर टैक्स जमा करने के लिए नया रिजीम चुना जा सकता है. तो अपने डिडक्शन को ध्यान में रखते हुए टैक्स कैलकुलेट कीजिए और जिस रिजीम में ज्यादा पैसे बच रहे हों, उसकी का चुनाव इनकम टैक्स रिटर्न भरते समय कीजिए.
देर से फाइल न करें रिटर्न
करदाता को तय समय के भीतर ही अपना ITR भरना जरूरी है. अगर देरी हुई तो सेक्शन 234F के तहत 5 लाख से ज्यादा की आमदनी पर 5 हजार रुपये की लेट फीस देनी होगी. अगर आप समय पर रिटर्न नहीं भरते हैं तो रिफंड पर ब्याज का लाभ घट जाएगा. रिफंड पर ब्याज 1 अप्रैल से कैलकुलेट किया जाता है. लेकिन, अगर आपने देरी से रिटर्न भरा तो आपके रिफंड पर ब्याज का कैलकुलेशन उस दिन से किया जाएगा, जब आपने रिटर्न भरा है.
रिटर्न का सत्यापन समय पर जरूरी
एक बार आपका रिटर्न भर जाए तो उसे 30 दिन के भीतर वेरिफाई करना जरूरी है. बिना सत्यापन किए रिटर्न को भरा हुआ नहीं माना जाएगा. आपका रिफंड भी तभी प्रोसेस होगा जब उसका वेरिफिकेशन कर दिया जाएगा. जितना जल्दी आप अपने रिटर्न को वेरिफाई करेंगे, उतना ही जल्दी रिफंड भी आपके पास आ जाएगा.
सभी छूट को क्लेम करें
टैक्सपेयर्स को अपनी सभी छूट और डिडक्शन को अच्छे चेक करना चाहिए और उसका क्लेम अपने आईटीआर में करना चाहिए. सिर्फ फॉर्म 16 में लिखे डिडक्शन पर ही निर्भर मत रहिये, बल्कि स्कूल ट्यूशन फीस और अन्य टैक्स सेविंग खर्चों को भी इसमें शामिल करना चाहिए. इससे यह तय हो जाएगा कि आपका रिफंड मैक्सिमम हो जाएगा. इसके अलावा आपको 26AS और AIS के आंकड़ों का भी मिलान करना चाहिए. अपने बैंक खाते को भी वैलिडेट करना जरूरी है, ताकि रिफंड का पैसा जल्दी आपके हाथ में हो.
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