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UP में Scholarship लेने वाले छात्रों के लिए बदले गए नियम, इन छात्रों को नहीं मिलेगा लाभ

UP में Scholarship लेने वाले छात्रों के लिए बदले गए नियम, इन छात्रों को नहीं मिलेगा लाभ

केंद्र सरकार और राज्य सरकार स्कूल के छात्र और यूजी, पीजी और पीएचडी लेवल तक छात्रों को बेहतर शिक्षा देने के लिए स्कॉलरशिप दी जाती है। लेकिन अब यूपी के छात्रों को ध्यान देने की जरुरत है क्योंकी योगी सरकार ने स्कॉलरशिप में कई बदलाव किए है।

स्कॉलरशिप पाना अब आसान नहीं होगा
इस बदलाव के बाद उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में नए सत्र से स्कॉलरशिप पाना आसान नहीं हो जाएगा। लेकिन नए बदलाव के बाद 40 साल से ज्यादा उम्र वालों को स्कॉलरशिप नहीं मिलेगी।
उत्तर प्रदेश समाज कल्याण ने जारी किए नए नियम
दरअसल उत्तर प्रदेश समाज कल्याण निदेशक की तरफ से उच्च शिक्षा में एडमिशन लेने वाले छात्रों के लिए स्कॉलरशिप के नियमों को सख्त कर दिया गया है। नए नियम के अनुसार कॉलेजों में पढ़ने वाले 40 साल से ज्यादा उम्र के छात्र स्कॉलरशिप के लिए आवेदन नहीं कर पाएंगे हालांकि इससे रिसर्च और डॉक्टरेट के छात्रों को बाहर रखा गया है।

सरकारी कॉलेजों की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए किए बदलाव

यूपी के सरकारी कॉलेजों की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए विभाग की तरफ से नए नियम बनाए गए हैं। पिछले सत्र तक सभी यूनिवर्सिटी और कॉलेज के छात्र स्कॉलरशिप के लिए दावेदार होते थे।
नैक से अप्रूव संस्थानों को ही मिलेगी स्कॉलरशिप
नए सत्र से केवल उन्हीं संस्थानों को स्कॉलरशिप और फीस में छूट मिलेगाजो नैक या एनबीए ग्रेडिंग से अप्रूव होंगे। आपको बता दें की नैक और एनबीए ग्रेडिंग का महत्व बहुत ज्यादा है जो संस्थान बेहतर शिक्षा देते हैं उन्हें ये ग्रेड दिया जाता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार। 10 फीसदी उच्च शिक्षण संस्थानों के पास अभी भी नैक या एनबीए नहीं है। अगले सेशन यानी में जो विश्वविद्यालय या कॉलेज नैक के मानकों को पूरा करते हैं उन्हें ही स्कॉलरशिप का मौका मिलेगा।
स्कॉलरशिप के लिए 75 फीसदी स्कॉलरशिप अनिवार्य
इसके साथ ही नए नियमों के अनुसार छात्रों को कॉलेज पहुंचे बिना डिग्री और स्कॉलरशिप का लाभ नहीं मिलेगा। सेशन 2025-26 से छात्रों की अनुपस्थिति 75 फीसदी अनिवार्य की गई है। छात्रों को बॉयोमैट्रिक और फेस रिकॉग्निशन सिस्टम से कॉलेजों में स्कॉलरशिप तय की जाएगी। फेस रिकॉग्निशन सिस्टम की जिम्मेदारी श्रीटॉन को सौंपी गई है। बायोमैट्रिक सिस्टम तैयार करने का जितना भी खर्च आएगा उसका वहन कॉलेजों और यूनिवर्सिटी को ही करना होगा।

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