Basic Shiksha Vibhag ( बेसिक शिक्षा विभाग )

बेसिक शिक्षा विभाग में 400 लोगों की फंसी नौकरी, बुलंदशहर, हाथरस, अमेठी, सीतापुर और फतेहपुर में सबसे ज्यादा केस

बेसिक शिक्षा विभाग में 400 लोगों की फंसी नौकरी, बुलंदशहर, हाथरस, अमेठी, सीतापुर और फतेहपुर में सबसे ज्यादा केस

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 बेसिक शिक्षा विभाग के मकड़जाल में यूपी के 75 जिलों में 500 से अधिक मृतक आश्रितों को नौकरी के लाले पड़े हुए हैं। 75 जिलों में 652 लोगों को मृतक आश्रित कोटे में नौकरी मिलनी है लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग के मकड़जाल में करीब 500 से अधिक लोगों की नौकरी फंस गई है। इस मामले में महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद ने सख्त रुख अपनाया है। उन्होंने प्रदेश के सभी 75 बीएसए को पत्र लिखकर मृतक आश्रित नियुक्त के लिए अब तक मिले सभी प्रकरणों को प्राथमिकता के आधार पर समयबद्ध रूप से कार्रवाई करने के लिए निर्देशित किया है।

Deceased dependent appointed

बेसिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश के तहत संचालित परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मियों के मृतक आश्रित नियुक्त के लिए आवेदन मानव संपदा पोर्टल पर किए गए हैं, जिनकी कुल संख्या 652 है। इसमें से 249 आवेदन तमाम कमियों को दर्शाते हुए रद्द कर दिए गए। 24 आवेदन सत्यापन न होने के कारण और 114 आवेदन अन्य कारणों से लंबित हैं। एक आवेदन को स्वीकृत ही नहीं किया गया।

करीब 150 आवेदन पूरे नहीं भरे गए हैं। महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद ने सभी बीएसए को भेजे गए पत्र में कहा है कि अत्याधिक संख्या में मृतक आश्रितों के नौकरी के आवेदन या तो लंबित हैं या उन्हें निरस्त कर दिया गया है। उन्होंने निर्देश देते हुए कहा है कि मृतक आश्रितों के नौकरी प्रकरणों के निस्तारण में पारदर्शिता का अभाव प्रतीत होता है, जो स्वीकार योग्य नहीं है। उन्होंने निर्देश दिए हैं कि मृतक आश्रित नियुक्ति के लिए प्राप्त प्रकरणों पर प्राथमिकता के आधार पर समयबद्ध रूप से कार्रवाई की जाए। 

शिकायतें लखनऊ तक पहुंचीं

मृतक आश्रितों को नौकरी के आवेदनों में रोड़ा अटकाने और उसे सही कराने के एवज में रिश्वत मांगने की शिकायतें लखनऊ तक पहुंच गईं। मामला मुख्यमंत्री तक पहुंचा तो बेसिक शिक्षा विभाग में हलचल हुई। खुद महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद ने मानव संपदा पोर्टल पर आए मृतक आश्रितों की नौकरी संबंधी प्रकरणों को जांचा तो वह दंग रह गए। सभी प्रकरणों की स्कूटनी करवाई गई, तब जिलों में बीएसए दफ्तरों के बाबुओं की करतूतें उजागर हुईं। इसके बाद प्रदेश के सभी बीएसए को पत्र भेजा गया। 

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