Paternity Leave : विशेषज्ञों ने की शिशु की देखभाल के लिए पितृत्व अवकाश बढ़ाने की सिफारिश, केंद्र सरकार की नौकरी में 15 दिनों का अवकाश, निजी क्षेत्र में कोई स्पष्ट नीति नहीं
Paternity Leave : विशेषज्ञों ने की शिशु की देखभाल के लिए पितृत्व अवकाश बढ़ाने की सिफारिश, केंद्र सरकार की नौकरी में 15 दिनों का अवकाश, निजी क्षेत्र में कोई स्पष्ट नीति नहीं
Paternity Leave: Experts recommended to increase paternity leave for child care, 15 days leave in central government job, no clear policy in private sector
हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कीजिए ।
https://chat.whatsapp.com/BSktrVOoSoiLphO2FpJlxf
देश दुनिया की ताजा बेहतरीन खबर जानने के लिए यहां क्लिक करें /
Paternity Leave एक बच्चे के लालन पोषण में माता-पिता दोनों का अहम योगदान होता है। नवजात शिशु की परवरिश में पिता की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसलिए विशेषज्ञों ने शिशु की देखभाल के लिए पितृत्व अवकाश बढ़ाने की सिफारिश की है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी माता- पिता दोनों की होती है, इसलिए विशेषज्ञों ने शिशु की देखभाल के लिए पितृत्व अवकाश बढ़ाने की सिफारिश की है। इससे माताओं पर बोझ कम हो सकेगा और दोनों मिलकर शिशु की बेहतर परवरिश कर सकेंगे। इस समय केंद्र सरकार की नौकरी में 15 दिनों का पितृत्व अवकाश मिलता है जबकि निजी क्षेत्र में पितृत्व अवकाश के लिए कोई स्पष्ट नीति नहीं है ।
26 सप्ताह (छह महीने) के मातृत्व अवकाश का प्रविधान है। मातृत्व लाभ अधिनियम पर कानून समीक्षा परामर्श में विशेषज्ञों ने इसके साथ ही अधिक महिला श्रमिकों को रोजगार देने के लिए नियोक्ताओं को प्रोत्साहित करने की भी सिफारिश की। राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने शनिवार को कहा कि इस बैठक का उद्देश्य महिलाओं को प्रभावित करने वाले कानून की समीक्षा और विश्लेषण करना और किसी भी कमी को दूर करने के लिए संशोधन की सिफारिश करना था।
विशेषज्ञों द्वारा दिए गए कुछ महत्वपूर्ण सुझावों में पितृत्व अवकाश की अवधि को बढ़ाना शामिल है ताकि बच्चों की परवरिश का बोझ माता-पिता दोनों के बीच समान रूप से साझा किया जा सके। संशोधन के लिए विशिष्ट सिफारिशें तैयार करने और कानून की पहुंच बढ़ाने के लिए एनसीडब्ल्यू ने अधिनियम पर विचार करने के लिए एक प्रारंभिक परामर्श और पांच क्षेत्रीय स्तर के परामर्श आयोजित किए हैं। इस परामर्श के माध्यम से आयोग ने पूरे भारत के विशेषज्ञों और हितधारकों के विचार, सुझाव और राय लेने का प्रयास किया। आयोग ने विभिन्न क्षेत्रों के कानूनी विशेषज्ञों, अधिवक्ताओं, शिक्षाविदों और कानूनी विशेषज्ञों को महिलाओं के सामने आने वाली वास्तविक चुनौतियों और तकनीकी मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के लिए आमंत्रित किया था।