52 स्कूलों में शिक्षक ही नहीं और बच्चों को बनाना है ‘निपुण‘
52 स्कूलों में शिक्षक ही नहीं और बच्चों को बनाना है ‘निपुण‘
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लखनऊ । केंद्र सरकार की निपुण भारत मिशन योजना के तहत परिषदीय विद्यालयों – छात्राओं को भाषा व गणित में दक्ष बनाने मुहिम चल रही है । शासन व बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी इस मुहिम को सफल बनाने का दावा भी कर रहे हैं । शिक्षकों के का भी निर्धारण किया गया है … लेकिन असल बात तो ये है कि बिना शिक्षकों विद्यार्थियों को निपुण कैसे बनाया जा सकता जी हां राजधानी में शहर के 52 परिषदीय विद्यालय ऐसे हैं जिनमें शिक्षक ही नहीं शिक्षकविहीन इन विद्यालयों में छात्रों को बनाया जा रहा होगा , इसका अंदाजा बखूबी लगाया जा सकता है ।
शहर के प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक के विद्यालयों में शिक्षकों की कमी है । प्राथमिक विद्यालयों की संख्या 38 है तो माध्यमिक विद्यालयों की संख्या 14 है । प्राथमिक विद्यालयों में कक्षा एक से पांच और पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में कक्षा आठ तक की पढ़ाई होती है । शहर में कुल 195 प्राथमिक विद्यालय हैं जिनमें 286 सहायक अध्यापक और 34 प्रधानाध्यापक वहीं सहायक अध्यापकों के 503 पद और प्रधानाध्यापकों के 71 पद रिक्त हैं ।
शहर में पूर्व माध्यमिक विद्यालय 57 जिनमें 47 सहायक अध्यापक कार्यरत हैं और प्रधानाध्यापकों की संख्या शून्य है । इनमें रिक्त सहायक अध्यापकों के 151 पद और प्रधानाध्यापकों के नौ पद रिक्त हैं । निपुण भारत मिशन के तहत छात्रों को दक्ष बनाने का जिम्मा स्थायी शिक्षकों व शिक्षामित्रों पर है । इसके लिए ऑनलाइन प्रशिक्षण भी चल रहा है लेकिन शिक्षक विहीन विद्यालयों में छात्र कैसे निपुण बनेंगे , इसकी कोई योजना विभाग पास नहीं है ।
आदेश का कर रहे इंतजार:
“समायोजन पॉलिसी का इंतजार कर रहे हैं । आदेश आने पर ही ग्रामीण से शिक्षकों को नगर क्षेत्र में समायोजित किया जा सकता है।” – अरुण कुमार , बीएसए