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NCF: क्लास 6 से स्टूडेंट्स को मिलेगी स्किल डेवलपमेंट की ट्रेनिंग, जानें और क्या-क्या होंगे बदलाव ?

NCF: क्लास 6 से स्टूडेंट्स को मिलेगी स्किल डेवलपमेंट की ट्रेनिंग, जानें और क्या-क्या होंगे बदलाव ?

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NCF: नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क यानि की NCF के ड्राफ्ट में वोकेशनल एजुकेशन यानी पेशेवर प्रशिक्षण की शुरुआत क्लास 6 से ही शुरू करने की बात कही गई है. एनसीएफ के 628 पेज के ड्राफ्ट में इसके बारे में विस्तार से बताया गया है.

Change in education by NCF

सीधे शब्दों में कहें तो, जो ट्रेनिंग अभी आईटीआई में दिया जा रहा है, उसे क्लास 6 से शुरू करने की योजना है. माना जा रहा है कि इससे स्कूली बच्चों में नए काम में रुचि बढ़ेगी. इससे स्टूडेंट्स के करियर में बहुत कुछ बदलाव भी शुरूआती समय से ही आएगा. NCF के मसौदे के मुताबिक स्कूली व्यवस्था में वोकेशनल एजुकेशन के तीन समूह बनाए गए हैं.

क्या है NCF और कैसे NEP-2020 से जुड़ा है इसका कनेक्शन? यहां जानें हर सवाल का जवाब पहला कृषि सेक्टर, दूसरा मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर और तीसरा सर्विस सेक्टर.तीनों सेक्टर पौधे उगाने व पशुपालन, उत्पादन के लिए उपकरण व मशीनों का इस्तेमाल और लोगों के साथ काम करने की स्किल डेवलपमेंट करने में मददगार होंगे. किसकी मिलेगी ट्रेनिंग ? प्रकृति से जुड़े वोकेशनल एजुकेशन के तहत कक्षा-6 से 8वीं तक के बच्चे सब्जियां उगाने, गार्डेन आदि से जुड़ी गतिविधियों में शामिल होंगे, जबकि 9वीं से 12वीं के छात्र फ्लोरिकल्चर, डेयरी, फार्मिंग आदि सीखेंगे.

मशीन व टूल से जुड़े वोकेशन के तहत मिडिल स्कूल के बच्चों को कागज, मिट्टी, लकड़ी व कपड़े का हैंडीक्राफ्ट सिखाने का प्रस्ताव है. छठी से आठवीं तक के जिन स्टूडेंट्स की रुचि टेलरिंग में होगी उन्हें कैंची, सिलाई मशीन के इस्तेमाल से कपड़े सिलने, लकड़ी के उत्पाद तैयार करने के लिए कारपेंटरी और पॉटरी जैसी ट्रेनिंग मिलेगी.वहीं सेकंडरी के स्टूडेंट्स वेल्डिंग के साथ टेलरिंग, कारपेंटरी आदि के एडवांस कोर्स सीख पाएंगे. यह भी सिखेगें स्टूडेंट्स सर्विस सेक्टर से जुड़ी वोकेशनल ट्रेनिंग में बच्चों में कम्युनिकेशन एवं इंटरपर्सनल स्किल को विकसित करने पर जोर रहेगा. मिडिल स्कूल के बच्चों को नर्सिंग होम से लेकर दुकान में सहयोगी के रूप में काम करने का प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि वे मरीजों से, ग्राहकों से बात करने के तरीके समझ सकें, जबकि सेकंडरी स्तर पर हाउस-कीपिंग व ब्यूटी कल्चर जैसी पेशेवर ट्रेनिंग दी जाएगी.

मिडिल स्कूल के बच्चे छठी से 8वीं की पढ़ाई के दौरान हर साल तीनों वोकेशनल समूह से एक-एक प्रोजेक्ट करेंगे. इस तरह मिडिल स्कूल पूरा होने पर विद्यार्थियों के नौ प्रोजेक्ट पूरे हो चुके होंगे. समझ विकसित करने के लिए सभी स्टूडेंट्स को सीधे-सीधे संबंधित इंडस्ट्री जैसे, नर्सरी मैनेजमेंट, पशुपालन प्रबंधन, फूड प्रोसेसिंग, पब्लिक हेल्थ एंड हाइजिन, ऑटोमोटिव पोल्ट्री, पेस्ट कंट्रोल यूनिट व नर्सरी, मैकेनिक वर्कशॉप, कारपेंटरी वर्कप्लेस या टेलरिंग यूनिट, रेस्तरां, जिम, अस्पताल, ओल्डएज होम व ब्यूटी पार्लर आदि यूनिट्स से जोड़ने की योजना है. साल के अंत में स्कूल में स्किल मेला लगेगा, जिसमें स्टूडेंट्स अपने-अपने प्रोजेक्ट का प्रदर्शन करेंगे.

NCF: 12वीं में दो बार होंगे बोर्ड एग्जाम, लागू होगा सेमेस्टर सिस्टम! जानें क्या होगा इसका फायदा कितना मिलेगा वेटेज ? वोकेशनल ट्रेनिंग के लिए मिडिल स्तर पर हफ्ते में 2.5 घंटे और सेकंडरी स्तर के लिए 3 घंटे का समय रखने का प्रस्ताव है. मूल्यांकन के समय 75% वेटेज प्रैक्टिकल व 25% वेटेज थ्योरी को मिलेगा.

तर्क दिया गया है कि जो छात्र उच्च शिक्षा में नहीं जाना चाहते, उन्हें इस प्रशिक्षण से अच्छा आधार मिलेगा. मिडिल स्कूल में ही बच्चे कम से कम उपकरणों, मशीनों व वर्क प्लेस को पहचानना व रखरखाव और काम करने का तरीका समझ चुके होंगे. सेकंडरी के स्टूडेंट्स मशीन व उपकरणों का इस्तेमाल समझ चुके होंगे. अन्य कौशल भी उनके जीवन से जुड़ चुका होगा. प्रैक्टिकल को दो तिहाई वेटेज देने के पीछे मंशा यह है कि कोर्स-करिकुलम की गंभीरता बनी रहेगी.

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